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Friday, June 11, 2021

खुशियां मोहताज नहीं होतीं

किसी ख़ास वजह की,
ये तो बस यूं ही मिल जाती हैं,
कभी भी, कहीं भी।

कभी मिल जाती हैं...
सुबह सुबह एक
नए खिले फूल पर,
ओस के मोती के रूप में....
या कभी रात को...
खुले आसमान में
चमकते हुए सितारों में,
कभी तपती धूप में...
उड़ते परिंदे को
जब मिल जाती है,
छांव किसी पेड़ की
तब उसे मिले सुकून को देखना...
खुशियां मोहताज नहीं होती
किसी वक़्त की....
ये तो बस यूं ही मिल जाती हैं
कभी सुबह की उमंग में,
कभी चांद तारों के संग में।

किसी भीड़ में जब,
अपनी मां की गोद में
कोई छोटा सा बच्चा,
बड़े प्यार से देखता है आपको,
या किसी अजनबी की
मदद करने और बस यूं ही
हल्का सा मुस्कुराने पर भी
बड़ा अच्छा सा लगता है ...तब
खुशियां मोहताज नहीं होती
किसी परिचय की.....
ये तो बस यूं ही मिल जाती हैं,
कभी अंजान सी पहचान में,
कभी निर्मल सी मुस्कान में।

कभी अमराई में कूकती...
कोयल के मधुर स्वर में,
या खेत में फूली
पीली सरसों में,
कभी पहली बारिश की बूंदें..
जब चूमती हैं धरती को..
उस वक़्त बारिश में भीगते हुए,
उस सुगंध को महसूस करना...तब
खुशियां मोहताज नहीं होती
किसी मौसम की.....
ये तो बस यूं ही मिल जाती हैं
कभी बसंत के रंग बिरंगे,
फूलों की महक में,
कभी सावन की,
रिमझिम फुहारों में।

किसी खिलौने को देखकर,
जब उसे पाने को मचल उठता है,
किसी मासूम का दिल,
और वो उसे मिल जाए....
या कोई बुजुर्ग,
जब गोद में लेता है पहली बार....
अपनी तीसरी पीढ़ी के शिशु को,
तब उस खूबसूरत पल में....
खुशियां मोहताज नहीं होती,
किसी उम्र की.....
ये तो बस यूं ही मिल जाती हैं..
कभी बुजुर्गों की आंखों की चमक में,
कभी बच्चों की खिलखिलाहट में।

हां...ये सच है कि,
खुशियां मोहताज नहीं होती,
लेकिन खुशियों को
दरकार होती है,
भावनाओं से भरे
एक दिल की...जो
उन छोटी-छोटी खुशियों के
अहसास को,
महसूस कर सके... क्योंकि
खुशियां मोहताज नहीं होती,
किसी खास वजह की,
ये तो बस यूं ही मिल जाती हैं,
कभी भी, कहीं भी।

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  "आप में वो सब कुछ है जो आप को आप बनाती है, तो खुद पर भरोसा करें और आगे बढ़ते रहें II "