ऐसी तकदीर न पाई थी कि तुमको पा सकता…
ऐसी याद्दाश्त न मिली थी कि तुमको भुला सकता..
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कोई वादा ना कर, कोई ईरादा ना कर!
ख्वाईशो मे खुद को आधा ना कर!
ये देगी उतना ही, जितना लिख दिया खुदा ने!
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर!
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“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”
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पहाड़ चढ़ने का एक उसूल है….झुक के चलो , दौड़ो मत …..
ज़िंदगी भी बस…… इतना ही मांगती है………
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पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन …
बस इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है
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लोग पूछते हैं.. कौन है वो जो तेरी ये हालत कर गया,
मैं मुस्कुरा के कहता हूँ.. उसका नाम हर किसी के लब पे अच्छा नहीं लगता !!!!
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अज़ब माहौल है हमारे मुल्क का…
मज़हब थोपा जाता है, इश्क रोका जाता है….!!
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चलता रहूँगा मै पथ पर, चलने में माहिर बन जाउंगा,
या तो मंज़िल मिल जायेगी, या मुसाफिर बन जाउंगा !
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बस रोशन करना जमानें को है मेरा मकसद यारों..
वो मुझ आफताब से ले या मेरे माहताब से ले…!!!
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